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सिंहस्थ 2028 को लेकर बड़ी बैठक — संभागायुक्त आशीष सिंह बोले: “गुणवत्ता और सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं होगा”; शिप्रा और कान्ह नदी पर ₹778 करोड़ से बनेंगे आधुनिक घाट, श्रद्धालुओं को मिलेगी नई सुविधाएं!
उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
सिंहस्थ 2028 को लेकर उज्जैन में तैयारियां अब तेज़ गति पकड़ चुकी हैं। सिंहस्थ मेला अधिकारी एवं संभागायुक्त आशीष सिंह की अध्यक्षता में गुरुवार दोपहर मेला कार्यालय में महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में सिंहस्थ से जुड़े विकास कार्यों, सड़क निर्माण और घाट परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा की गई।
इस बैठक में अपर आयुक्त रत्नाकर झा, कलेक्टर रौशन कुमार सिंह, जिला पंचायत सीईओ श्रेयांश कूमट सहित लोक निर्माण विभाग, सेतु विभाग, एमपी रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (MPRDC) और प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन यूनिट (PIU) के अधिकारी उपस्थित रहे।
गुणवत्ता और सुरक्षा पर समझौता नहीं होगा: मेला अधिकारी
बैठक के दौरान संभागायुक्त आशीष सिंह ने स्पष्ट निर्देश दिए कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशा के अनुरूप सभी विकास कार्यों में गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन किया जाए।
उन्होंने कहा कि सिंहस्थ जैसे अंतरराष्ट्रीय आयोजन में लाखों श्रद्धालुओं की सुविधा सर्वोपरि है, इसलिए निर्माण कार्यों में कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
संभागायुक्त ने सड़क निर्माण कार्यों की समीक्षा करते हुए कहा कि यातायात सुगम बनाने के लिए रिक्शा स्टैंड और पार्किंग एरिया के लिए स्थान चिन्हित किए जाएं। कार्य में देरी और लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए, उन्होंने उज्जैन-इंदौर छह लेन परियोजना देख रहे MPRDC के जनरल मैनेजर को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।
कलेक्टर ने कहा – सभी काम मास्टर प्लान के अनुसार करें
बैठक के दौरान कलेक्टर रौशन कुमार सिंह ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि सभी कार्य सिंहस्थ मास्टर प्लान के अनुसार ही किए जाएं। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्यों की प्रगति पर नियमित समीक्षा और फील्ड विजिट की जाए ताकि किसी भी प्रकार की त्रुटि समय रहते सुधारी जा सके।
₹778 करोड़ से बनेगा शिप्रा और कान्ह नदी पर घाटों का नेटवर्क
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की विशेष पहल पर शिप्रा नदी और कान्ह नदी के किनारों पर कुल 29 किलोमीटर लंबे घाटों का निर्माण कार्य शुरू किया गया है। राज्य शासन ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए 778 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है।
इन घाटों के निर्माण से श्रद्धालुओं को सिंहस्थ और अन्य धार्मिक अवसरों पर स्नान के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और सुगम स्थान उपलब्ध होंगे। परियोजना के तहत शिप्रा नदी पर 3 वेंटेड कॉज-वे, कान्ह नदी पर 5 कॉज-वे और शिप्रा पर 1 बैराज का निर्माण भी प्रस्तावित है।
इसके अतिरिक्त, 9 किलोमीटर लंबे स्थायी घाटों के उन्नयन का कार्य भी चल रहा है, जिसकी अनुमानित लागत 120 करोड़ रुपये है। अधिकारियों के अनुसार, इन व्यवस्थाओं के पूर्ण होने के बाद 24 घंटे में लगभग ढाई करोड़ श्रद्धालु स्नान कर सकेंगे।
आकर्षक लाइटिंग और नई सुविधाएं
नई घाट परियोजना के अंतर्गत घाटों को न केवल सुंदर और सुरक्षित बनाया जाएगा, बल्कि वहां आकर्षक विद्युत सजावट भी की जाएगी। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए नए चेंजिंग रूम और बैठने की व्यवस्था भी बनाई जा रही है ताकि किसी प्रकार की असुविधा न हो। यह सभी घाट स्थायी स्वरूप में बनाए जा रहे हैं, जिससे उज्जैन की धार्मिक पहचान को स्थायी संरचना के रूप में संवारा जा सके।
सिंहस्थ 2028 की दिशा में उज्जैन प्रशासन ने अब तैयारी को युद्धस्तर पर शुरू कर दिया है। गुणवत्ता, सुरक्षा और श्रद्धालुओं की सुविधा को प्राथमिकता देते हुए, करोड़ों की परियोजनाएं तेजी से आगे बढ़ाई जा रही हैं। शिप्रा घाटों का पुनर्निर्माण, सड़क और यातायात प्रबंधन और इन्फ्रास्ट्रक्चर उन्नयन – यह सब मिलकर आने वाले सिंहस्थ को एक भव्य और सुव्यवस्थित आयोजन बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे।